
लगन तुमसे लगा बैठे,जो होगा देखा जायेगा।
तुम्हे अपना बना बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥
कभी दुनियाँ से डरते थे,कि छुप-छुपकर याद करते थे।
लो अब परदा उठा बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥1||
कभी ये ख्याल था,दुनिया हमेँ बदनाम कर देगी।
शरम अब बेच खा बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥2||
दिवाने बन गये तेरे,तो फिर दुनिया से क्या डरना।
तेरी गालियोँ मेँ आ बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥3||
सलोनी सांवरी सूरत,गले मेँ हार फूलोँ का।
निगाहोँ मेँ बसा बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥4||
तेरे दरबार आई हूँ,फूल श्रद्धा के लायी हूँ।
तेरे चरणोँ मेँ आ बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥5||
तुम्हारे इक इशारे पर,मैँ हूँ सर्वस्व दे सकती।
लो सबसे दिल हटा बैठे,जो होगा देखा जायेगा॥6||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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