गोविन्द बोलो हरे गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोविन्द बोलो

गोविन्द बोलो हरे गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोविन्द बोलो



गोविन्द बोलो हरे गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोविन्द बोलो
मन में मुकुंदा की माधुरी घोलो,कण कण में तन के कन्हैया संजोलो
बरसे है घन श्याम तन मन भिगो लो,वो है तुम्हारा तुम उसके हो लो
संसार सागर हृदय शेष मेरा,लक्ष्मी संग शयन करे श्याम मेरा
शंख ओर चक्र गदा पदम साजे,दर्शन करो मन के द्वार खोलो
नारायण बोलो श्री दामोदर बोलो,घनश्याम बोलो श्री योगेश्वर बोलो ||1||
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कहने को तो वो जगदीश कहाते घर घर जाके वो माखन चुराते
जो श्याम जग को रचे राखे मारे,गोपी गवालों के संग लीला राचे
समझा है ना समझेगा कोई रास बिहारी श्री बल्लभ बोलो बोलो श्यामा श्याम ||2||

माथे पे मोर मुकुट शोभा न्यारी,यमुना तट पे बंसी बजाये मुरारी
तन हैसे नील कमल मनोहर मन मोहे पल में ये श्याम नटवर
नैनों में नटखट की मूरत संजो लो बंसी धर बोलो श्री गिरधर बोलो
श्री गिरधारी बोलो बोलो कन्हैया,गोविन्द बोलो बोलो हरे गोपाल बोलो ..||3||

''जय श्री राधे कृष्णा''


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