
एक तमन्ना श्याम हैं मेरी, दिल में बसलूं सूरत तेरी,
हर पल उसी को निहारा करूँ, श्याम श्याम मुख से उचारा करूँ|
रोज सवेरे उठ कर श्याम तुझ को सीस निवाउन मैं,
प्रेम भाव से भांति भांति का नित्त श्रृंगार सजाऊं मैं।
हाथों से आरती उतारा करूँ श्याम ||1||
इस तन से जो काम करूँ मैं, सब कुछ तुझको अर्पित हो,
खाऊ जो प्रसाद हो तेरा, पीवू वो चरणामृत हो।
हर पल ही दर्शन तुम्हारा करूँ श्याम ||2||
कण कण में है वास तुम्हारा, यह संसार तुम्हारा है,
बंशी वाले यह जग सारा ही दरबार तुम्हारा है।
चरणों में तेरे गुज़ारा करूँ श्याम ||3||
दीनो की प्रभु विनती तुमसे प्रभु इतनी कृपा कर देना,
चरणों की सेवा मिल जाए इस से बढ़ कर क्या लेना।
असुवन से इनको पखारा करूँ श्याम, ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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