मन तड़पत हरि दरसन को आज

मन तड़पत हरि दरसन को आज




मन तड़पत हरि दरसन को आज

मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज ॥1||

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन की बात॥2||

बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज ॥3||

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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