
भज ले प्यारे सांझ-सवेरे , एक माला हरी नाम की..
जिस माला मे राम नहीं, वो माला किस काम की..
नाम के बल पर बजरंगी ने सागर सिला तिराई थी
बाण लगा जब लखनलाल को , संजीवनी पिलाई थी
नाम के बल पर देखो भाई, बन आई हनुमान की ||1||.
नाम के बल पर अंगद जी ने, रावण को ललकारा था
लेकर नाम प्रभु का वो, रावण की सभा मे पधारा था
महिमा अगम अपार है, श्री रामचंदर भगवान् की ||2||
एक माला को माँ सीता ने, बजरंगी को दान दिया
बजरंगी ने तोड़ - तोड़कर, भूमि ऊपर डाल दिया
बजरंगी के ह्रदय बसी थी.. मूरत सीताराम की ||3||
बड़े भाग्य से तुमने भाई, मानव तन ये पाया है
गर्भकाल मे कोल किया था.. बाहर आ बिसराया है
सब मिलकर अब बोलो जी.. पवनपुत्र हनुमान की ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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