
हे बाँके बिहारी गिरधारी,हो प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।
नटवर मधुसूदन बनवारी,हो प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।
मैँ जग से ऊब चुका मोहन,सब जग को परख चुका मोहन।
अब शरण तिहारी गिरधारी,हो प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।|1||
भाई, सुत, दारौँ, कुटुम्बीजन,मैँ, मेरे के सिगरे बन्धन।
सब स्वार्थ के हैँ संसारी,हो प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।|2||
पापी, आजापी, नर-नारी,इन चरणोँ से जिनकी यारी।
उनके हरि हो तुम भयहारी,हो प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।|3||
मैँ सुख मेँ रहुँ, चाहे दुख मेँ रहुँ,काँटोँ मेँ रहुँ, फूलोँ मेँ रहुँ।
वन मेँ, घमेँ, जहाँ भी रहुँ,हो र प्यार तुम्हारे चरणोँ मेँ।|4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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