
कभी आओ गोकुल देश हमारी सुध ले लो बनवारी
तुम बिन सूनी हुई रे नगरिया राधा रो रो हारी
राधा रो रो हारी रे मोहन राधा रो रो हारी |
गए हो जब से कान्हा रे तुम जमुना भूली बहना
मोर पपीहे कह के उड़ गए बिन मोहन क्या रहना
लग के गले पेड़ों के रोए. तेरी राधा प्यारी ||1||
खोजें तुमको मेरी नजरिया, कहीं अब लागे जी ना
तुम बिना जीना भी क्या जीना ये जीना नहीं जीना
रो रो लाल हुई ये आँखें होती थी कजरारी ||2||
भक्तों ने जब तुम्हे पुकारा दौड़े दौड़े आए
प्राणों की प्यारी तुम्हे पुकारे मोहन तू ना आए
भूला भी तो अपनी ही राधा ,कहलाए तू त्रिपुरारी ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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