
तू कर बन्दगी और भजन धीरे धीरे.
मिलेगी प्रभु की शरण धीरे धीरे |
दमन इन्द्रियों का तू करता चला जा.
बना शुद्ध चाल चलन धीरे धीरे ||1||
मिलेगा तुझे खोज जिसकी है तुझको.
धरम से जो होगी लगन धीरे धीरे ||2||
कदम नेक राहों पे धरता चला जा
मिटेगा ये आवागमन धीरे धीरे ||3||
छिड़क जल दया का तू सूखे दिलों पर.
बसेगा ये उजड़ा चमन धीरे धीरे ||4||
लगा मुख पे ताला तू सत्संग वाला.
मिटा देगा दर्दे कुहन धीरे धीरे ||5||
कोई काम दुनियाँ में मुश्किल नहीं है
जो करते रहोगे जतन धीरे धीरे ||6||
मनुज सेवा तेरी तेरी ईश भक्ति
दीपाएगी तेरा जीवन धीरे धीरे ||7||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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