
फाग खेलन बरसाने आये हैं,
नटवर नंद किशोर।
घेर लई सब गली रंगीली,
छाय रही छबि छटा छबीली,
जिन ढोल मृदंग बजाये हैं ,
बंसी की घनघोर ||1||
जुर मिल के सब सखियाँ आई,
उमड घटा अंबर में छाई,
जिन अबीर गुलाल उडाये हैं,
मारत भर भर झोर ||2||
ले रहे चोट ग्वाल ढालन पे,
केसर कीच मले गालन पे,
जिन हरियल बांस मंगाये हैं ,
चलन लगे चहुँ ओर ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा '
0 Comments: