नी मै कमली श्याम दी कमली

नी मै कमली श्याम दी कमली



नी मै कमली श्याम दी कमली 
नी मै कमली श्याम दी कमली 
रूप सलोना देख श्याम दा
सुध बुध मेरी खोई 
नी मै कमली होई 

सखी पनघट पर यमुना के तट पर 
ले कर पहुंची मटकी 
भूल गयी  सब एक बार जब
 छवि देखि नटखट की 
देखत ही वेह हुई बांवरी 
उसी रूप मै खोई  ||1||

कदम्ब के नीचे अखियाँ मीचे 
खड़ा था नन्द का लाला 
मुख पर हंसी हाथ मै बंसी 
मोर मुकट गल माला 
तान सुरीली मधुर नशीली 
तन मन दियो भिगोई  ||2||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

 

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