
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार |
पवनसुत विनती बारम्बार ||
अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता,
दुखिओं के तुम भाग्यविदाता |
सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार ||1||
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी,
तुम पर रीझे अवधबिहारी |
भक्ति भाव से ध्याऊं तुम्हे, कर दुखों से पार ||2||
जपूं निरंतर नाम तिहरा,
अब नहीं छोडूं तेरा द्वारा |
राम भक्त मोहे शरण मे लीजे, भाव सागर से तार ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: