
मैं घनश्याम को देखता जा रहा हूँ
उसी की झलक पर खिंचा जा रहा हूँ l
लुटाता है वह मैं लुटा जा रहा हूँ
मिटाता है वह मैं मिटा जा रहा हूँll1ll
खबर कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ
बुलाता है घर मैं चला जा रहा हू ll2ll
मोहब्बत का मैं रंग यूँ ला रहा हूँ
निगाहों में उसकी बसा जा रहा हूँ ll3ll
पता प्रेम के सिंधु का पा रहा हू
कि एक बिन्दु में ही बसा जा रहा हूँ ll4ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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