जो उस सांवले को सदा ढूढता है

जो उस सांवले को सदा ढूढता है



जो उस सांवले को सदा ढूढता है,
उसे एक दिन सांवला ढूंढता है |

जिसे ढूँढने का अलग पढ़ चूका है,
वो इस ढूँढने में मज़ा ढूंढता है ||1||

अरे दिल जिसे कुल जहां ढूंढता है,
वो तुझमे है फिर तू कहाँ ढूंढता है ||2||

मिला उसको जो दिल मिला ढूंढता है,
जुदा उससे है जो जुदा ढूंढता है ||3||

जो पूँछो पतित बिन्दु क्या ढूँढता है,
पतित बन्धु जी का पता ढूँढता है||4||


जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्

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