
वृदावन धाम बिहारी को ,
बरसानो राधा प्यारी को ,
दरशन होय कृषण मुरारी को ,
देखन को मन ललचाय रहयो |
तेरी लीला अदभुत न्यारी है ,
मोहन तू बडो खिलाडी है,
तेरी सूरत कितनी प्यारी है ,
नैनन सौ तीर चलाय रहयो ||1||
बशीं बाजी बशींवट पे ,
गवला पहुचे जमुना तट पे ,
सब सखियॉ पहुच गई पनघट पे ,
उनके सगं रास रचाय रहयो ||2||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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