ये तेरी मुरली रास भरी.…

ये तेरी मुरली रास भरी.…




ये तेरी मुरली रास भरी.…
(तर्ज :ये तेरी पलकें झुकी-झुकी .... )


ये तेरी मुरली रास भरी,जो तूने होठों से छुआ
कि बजने लगी है ऐसी वो-२,मुझपे जादु सा किया |


कराती कानों को रसपान,बिखेरे होठों पे मुस्कान
हुआ जाता हूँ मैं मदहोश,होश नहीं रहता मुझको ज्ञान ||1||


सुनी जो मुरली तेरी श्याम,हुई थी राधा राधेश्याम
हुई थी मीरा दीवानी,दीवानी तेरी वो घनश्याम ||2||


मुनी नहीं देव कोई ज्ञानी ,राज मुरली का पहचाने
हुए शिव भोले से नटराज,राज क्या 'टीकम' भी जाने ||3||

जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्

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