
धुन- कर दो बेड़ा पार
मेरा अवगुण भरा शारीर , प्रभु जी कब तारोगे || टेर ||
जीवन दे के क्यों बिसराया , तेरे बिन कोई ठौर न पाया
अपना लो घनश्याम , प्रभु जी कब तारोगे || १ ||
गिरिवरधारी संकट हारी , सुध ले ल्यो अब हे बनवारी
मेरी पीड़ा न पहचान , प्रभु जी कब तारोगे || २ ||
घट घट वासी हे सुखरासी , मेरी बारी कद सी आसी
मेरी नाव पड़ी मझधार , प्रभु जी कब तारोगे || ३ ||
मैं तो प्रभु दास पुराना , इस रिश्ते को श्याम निभाना
थारो टाबर हूँ नादान , पभु जी कब तारोगे || ४ ||
आस " सुरेश " को एक प्रभु तेरी , " श्याम मण्डल " शरणागत तेरी
काटो यम की त्रास , प्रभु जी कब तारोगे || ५ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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