तेरे दरस की प्यास है, तूं आके बुझा रे

तेरे दरस की प्यास है, तूं आके बुझा रे



तेरे दरस की प्यास है, तूं आके बुझा रे
ओ कान्हा अब तो विनय सुन, तूं मुखड़ा दिखा रे |



ढूँढूँ मैं तुझे कुंजन में, गलियों में ढूँढूँ – २
यमुना का तट सब ढूँढँ के,मैं अब तो थका रे॥1||



आजा कि मेरे मन की लगन, बढती ही जाये – २
क्यूँ रूठ कर बैठा है तू , कारण तो बता रे ||2||



भक्तों की अरज सुनके सदा तुम तो आते हो
तड़पा रहे क्यूँ, दे रहे हो मुझको सजा रे ||3||

जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्



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