देखो माई ये बडभागी मोर |

देखो माई ये बडभागी मोर |








देखो माई ये बडभागी मोर |


जिनकी पंख को मुकुट बनत है , 
सिर धरे नंद किसोर॥1॥


ये बडभागी नंद यसोदा , 
पुण्य किये भरि झोर॥ 2||


वृंदावन हम क्यों न भई हैं , 
लागत पग की ओर॥3॥


ब्रम्हादिक सनकादिक नारद ,
 ठाडे हैं कर जोर॥4||


सूरदास संतन को सर्वस्व ,
 देखियत माखन चोर॥5॥

जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्



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