
धुन - ज्योत से ज्योत
बिन हरी नाम गुजारा नहीं ,
रे बावरे मन किनारा नहीं ||
नाव पुरानी चंचल धारा , मौसम तूफानों का
खेते खेते हिम्मत हारी , डगमग डोले नौका
प्रीतम को जो पुकारा नहीं || १ ||
फँसता क्यों जाता माया में , ये नागिन काली
डंस जायेगी बचकर रहना , चौतरफा मुँह वाली
फिर ये जनम दुबारा नहीं || २ ||
इब तो तूँ बस इस नैया को , करदे श्याम हवाले
बस की बात नहीं बन्दे की , ये दातार सम्हाले
झूठा , अहम का भाव गंवारा नहीं || २ ||
ये मौका भी चूक गया तो , क्या है आनी जानी
" श्याम बहादुर " " शिव " जाग नींद से , जीवन ओस का पानी
भूल के सहोना दुबारा नहीं || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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