कलयुग के देव कहते है , मेरे श्याम साँवरिया

कलयुग के देव कहते है , मेरे श्याम साँवरिया




धुन- चालत मुसाफिर मोह गया रे



कलयुग के देव कहते है , मेरे श्याम साँवरिया 

भगतों के कष्ट मिटाते हैं , मेरे श्याम साँवरिया || टेर ||




भगति की डोरी में बंधकर , वो आ जाते हैं खुद चलकर

भगतों का मान बढ़ाते हैं , मेरे श्याम साँवरिया || १ ||




भगति में भाव हैं दीखते , तब जाकर भगवान् हैं मिलते 

भगतों को दरश दिखाते हैं ,मेरे श्याम साँवरिया || २ ||




प्रीत प्रभु से जो करते हैं , उनकी पीड़ा झट हारते हैं 

प्रीत की रीत निभाते हैं , मेरे श्याम साँवरिया || ३ ||




दास " रवि " कहे सुमिरण करलो , ध्यान ह्रदय में इनका धरलो 

भगति से खुश हो जाते हैं , मेरे श्याम साँवरिया || ४ ||


जय श्री राधे कृष्ण

श्री कृष्णाय समर्पणम्

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