सरन गए को को न उबार्‌यौ ।जब जब भीर परी

सरन गए को को न उबार्‌यौ ।जब जब भीर परी






सरन गए को को न उबार्‌यौ ।




जब जब भीर परी संतनि कौं, चक्र सुदरसन तहाँ सँभार्‌यौ ||1||




भयौ प्रसाद जु अंबरीष कौं, दुरबासा को क्रोध निवार्‌यौ ||2||




ग्वालिन हेत धर्‌यौ गोबर्धन, प्रगट इंद्र कौ गर्ब प्रहार्‌यौ ।|3||




कृपा करी प्रहलाद भक्त पर, खंभ फारि हिरनाकुस मार्‌यौ ।|4||




नरहरि रूप धर्‌यौ करुनाकर, छिनक माहिं उर नखनि बिदार्‌यौ ||5||





ग्राह ग्रसत गज कौं जल बूड़त, नाम लेत वाकौ दुख टार्‌यौ ||6||





सूर स्याम बिनु और करै को, रंग भूमि मैं कंस पछार्‌यौ ||7||








जय श्री राधे कृष्ण



श्री कृष्णाय समर्पणम्

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