ये रंग ज़माने के मोहे रास ना आते है,

ये रंग ज़माने के मोहे रास ना आते है,



तर्ज- प्रभु प्रेम बनाये रखना



ये रंग ज़माने के मोहे रास ना आते है,
दुनिया के नज़ारे ये अब नहीं सुहाते है,
कोई ऐसा रंग लगादे, जो श्याम से मोहे मिलादे |




कोई तो बतादे मोहे श्याम को क्या भाता है,
ठिकाना बतादो जहाँ,श्याम आता जाता है,
उस गली मोहल्ले मे, मै जाकर बस जाऊ,
आये जब श्याम मेरे,उनके दर्शन पावूं || 1 ||




श्याम को सुहाये वही रंग मुझे चाहिए,
तन रंग जाये ऐसी,पिचकारी चाहिए,
जब धार पड़े मुझपे,मन निर्मल हो जाये,
जिस और भी देखू मे, मोहे श्याम नजर आये || 2 ||




मन नहीं लागे मेरा,झूठे रिश्ते नातो मे,
स्वार्थ की बदबू आती,मुझे इनकी बातो मे,
मुझे श्याम दीवानों की टोली मे रहना है,
और रात दिवस मुझको,भावो मे बहना है || 3 ||




प्रेम का रंग "बिन्नू' श्याम को पसंद है,
प्रेमियों के दिल मे ही,श्याम नजरबंद है,
तू प्रेम सरोवर मे, डुबकी जो लगावोगे,
बस एक छलांग लगा,बाबा श्याम को पावोगे || 4 ||


जय श्री राधे कृष्ण


श्री कृष्णाय समर्पणम्

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