
भावना से भज ले बन्दे भव से बेड़ा पार है , भाव जब ना हो भजन में भजन तेरा बेकार है ,
published on 03 October
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तर्ज वंदना करते तुम्हारी हे गजानंद।
भावना से भज ले बन्दे भव से बेड़ा पार है ,
भाव जब ना हो भजन में भजन तेरा बेकार है ,
बोलो श्याम श्याम , बोलो श्याम श्याम श्याम |
भावना में बहके विदुराणी के छिलके खाये थे ,
लाया सुदामा सूखे चावल प्रेम से भोग लगाये थे ,
कर्मा के खिचड़ के आगे छप्पन भोग बेकार है ||1||
भाव के भूखे कन्हैया भाव में बिक जाते है ,
प्रेम से जो भी खिलाओ रुखा सुखा खाते है ,
सोना चांदी ना हीरा मोती इनका मौल तो प्यार है ||2||
प्रेम से जिसने पुकारा श्याम दौड़े आते है ,
बीच भंवर अटकी हो नइया माँझी वो बन जाते है ,
''विष्णु '' नईया डूबे कैसे , श्याम खेवनहार है ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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