श्यामा कैसे तोहि रिझाऊँ।

श्यामा कैसे तोहि रिझाऊँ।

  




श्यामा कैसे तोहि रिझाऊँ।





तुम हँस बोले मोहे लाड़िली,
      जीवन सफल बनाऊँ।।1||




शीश चन्द्रिका पचरंग साड़ी,
      देखत नैन सिराऊं।|2||




रूप माधुरी भर-भर देखूँ,
       तेरो ही गुण गाऊं||3||




रसिक प्यारी वनरानी के,
       चरण कमल सेहराऊँ ||4||




हितगोपाल अब प्रियाचरण बिन,
       कैसे मन ठेहराऊं ||5||

जय श्री राधे कृष्ण



श्री कृष्णाय समर्पणम्

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