
श्यामा कैसे तोहि रिझाऊँ।
published on 03 October
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श्यामा कैसे तोहि रिझाऊँ।
तुम हँस बोले मोहे लाड़िली,
जीवन सफल बनाऊँ।।1||
शीश चन्द्रिका पचरंग साड़ी,
देखत नैन सिराऊं।|2||
रूप माधुरी भर-भर देखूँ,
तेरो ही गुण गाऊं||3||
रसिक प्यारी वनरानी के,
चरण कमल सेहराऊँ ||4||
हितगोपाल अब प्रियाचरण बिन,
कैसे मन ठेहराऊं ||5||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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