तर्ज   मणिहारी का वेश  बनायासंकट कब तक वंहा पर

तर्ज   मणिहारी का वेश  बनायासंकट कब तक वंहा पर






तर्ज   मणिहारी का वेश  बनाया


संकट कब तक वंहा पर हैं ठहरा ,
जंहा श्याम का लगता है पहरा।


बाबा आये तेरे घर के अंदर ,
 घर बने  तेरा श्याम का मंदिर ,
खाटू धाम बने गाँव तेरा ||1||


                     
तेरे घर में जले श्याम ज्योति ,
 रात पूनम अमावश की  होती ,
 वंहा कैसे ठहरेगा अँधेरा ||2||
                                                            
तेरे घर  जब मोर छड़ी हो ,
मुश्किल चाहे फिर कितनी बड़ी हो ,
मोर छड़ी में बसे श्याम मेरा ||3||
                    
ज्योति श्याम की दिल    में  जला  ले
विष्णु श्याम को अपना  बना ले
फिर  वो हाथ   पकड़ लेगा तेरा ||4||
                            



जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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