
तर्ज मणिहारी का वेश बनायासंकट कब तक वंहा पर
published on 03 October
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तर्ज मणिहारी का वेश बनाया
संकट कब तक वंहा पर हैं ठहरा ,
जंहा श्याम का लगता है पहरा।
बाबा आये तेरे घर के अंदर ,
घर बने तेरा श्याम का मंदिर ,
खाटू धाम बने गाँव तेरा ||1||
तेरे घर में जले श्याम ज्योति ,
रात पूनम अमावश की होती ,
वंहा कैसे ठहरेगा अँधेरा ||2||
तेरे घर जब मोर छड़ी हो ,
मुश्किल चाहे फिर कितनी बड़ी हो ,
मोर छड़ी में बसे श्याम मेरा ||3||
ज्योति श्याम की दिल में जला ले
विष्णु श्याम को अपना बना ले
फिर वो हाथ पकड़ लेगा तेरा ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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