दया करो है दया के सागर,दास हूँ तुम्हारा श्याम,दास हूँ

दया करो है दया के सागर,दास हूँ तुम्हारा श्याम,दास हूँ






दया करो है दया के सागर,
दास हूँ तुम्हारा श्याम,दास हूँ तुम्हारा |

इधर भी देखो नजर उठाकर,
दास हूँ तुम्हारा श्याम,दास हूँ तुम्हारा |






जब से होश संभाला मैंने,तुमको अपना माना है,
तेरे दर पे श्याम सदा ही,मेरा आना जाना है,
रखा है तुमको दिल मे बसाकर ||1||




झुक झुक कर तेरे चरणों मे, सादर शीश नवावूं मे,
बड़े चाव से प्रेम भाव से,तुझको श्याम रिझावु मे,
मेरा ये तनमन तुझपे न्योछावर ||2||




"बिन्नू" की विनती प्रभु तुमसे,मुझको श्याम निभा लेना,
मांझी बनकर भवसागर से,नैया पार लगा देना,
उधर भी मिलना तूँ मुस्कुराकर ||3 ||




जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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