चदरिया झीनी रे झीनी,

चदरिया झीनी रे झीनी,








चदरिया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी |

चदरिया झीनी रे झीनी





ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी
शुकदेव ने निर्मल कीनी
चदरिया  झीनी रे झीनी ||1||






दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी 
जयूँ की त्यूँ धरि दीनी 
चदरिया झीनी रे झीनी ||2||






जय श्री राधे कृष्ण

 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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