शिव वन्दना

शिव वन्दना



धुन- वो दिल कहाँ से लाऊँ



अपनी शरण में ले लो , कैलाश के निवासी

दर्शन हमें भी दे दो , अँखियाँ दरश की प्यासी || 




भक्ति तेरी ना जानू , ना भाव का पता है

लेकिन मेरे ह्रदय में , तेरा प्रेम तो बसा है 
करनी पड़ेगी हम पर , भोले महर ज़रा सी || १ ||




गंगा जटा से बहती , मस्तक पे चन्दा साजे

सर्पो का हार पहने , देखूँ तूँ कैसा लागे 
ओ नीलकण्ठ वाले , ओ काशी धान वासी || २ ||




देवों के देव तुमको , हर देवी देव ध्यावे 

कालों के काल फिर भी , सब पर दया लुटावे
चौखट पे तेरी भोले , " नन्दू " ये आँख लागी || ३ ||


जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्

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