
श्याम झूले हिंडोरा, कुँजन वन में।
कुँजन वन में सखी माधो वन में।
उमड़-घुमड़ कर आई बदरिया,
बिजुरी चमक रही घन में ||1||
दादुर मौर पपीहा बोले,
कोयल सबद करत वन में||2||
चहूँ दिसि में हरियाली फूली,
ऋतु बरषा के आनन में ||3||
सत्य के स्वामी बेग पधारो,
चित लाग्यो म्हारो चरनन में ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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