
तर्ज़-इक प्यार का नगमा है
जब सँकट गहराये, तुझे कुछ ना नज़र आये
तू मनाले, साँवरे को, तेरी बिगड़ी सँवर सजाये,
जब सँकट . . .
वो लाज बचैया है, वो भव का खिवैया है
वो घट घट की जानें, वो स्वयम् कन्हैया है
किस चिंता में डूबा, क्या फिकर तुझे खाये ||1||
वो कलयुग अवतारी, वो कृष्ण कला धारी,
चाहे जैसा संकट हो, कटती विपदा सारी,
प्रभु श्याम के होते हुये, नहीं आँच कोई आये ||2||
बस आस जगाये रख, विश्वास जमाये रख
बस एक भरोसा रख, भावों को बनाये रख,
कहता है "रवि" तेरी, तक़दीर सँवर जाये ||3||
रविन्द्र केजरीवाल"रवि"
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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