यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे

यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे




यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे कभी न कभी ।

दुखहारी हरी, दुखिया जन के, दुख क्लेश हरेगें कभी न कभी ।




जिस अंग की शोभा सुहावनी है, जिस श्यामल रंग में मोहनी है ।

उस रूप सुधा से स्नेहियों के, दृग प्याले भरेगें कभी न कभी ।




जहां गीध निषाद का आदर है, जहां व्याध अजामिल का घर है ।

वही वेश बनाके उसी घर में, हम जा ठहरेगें कभी न कभी ।




करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें, कर्णामृत पान कराया जिन्हें ।

सरकार अदालत में ये गवाह, सभी गुजरेगें कभी न कभी ।




हम द्वार में आपके आके पड़े, मुद्दत से इसी जिद पर हैं अड़े ।

भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े, तो ये 'बिन्दु' तरेगें कभी न कभी ।




जय श्री राधे कृष्ण
 श्री कृष्णाय समर्पणम्



Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: