
सब जग को यह माखनचोर,
नाम धर्यो बैरागी।
कहं छोडी वह मोहन मुरली,
कहं छोडि सब गोपी||1||
मूंड मुंडाई डोरी कहं बांधी,
माथे मोहन टोपी||2||
मातु जसुमति माखन कारन,
बांध्यो जाको पांव||3||
स्याम किशोर भये नव गोरा,
चैतन्य तांको नांव ||4||
पीताम्बर को भाव दिखावै,
कटि कोपीन कसै ||5||
दास भक्त की दासी मीरा,
रसना कृष्ण रटे ||6||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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