वृन्दावन आनंद विहार      चारू दम्पत्ति के,दिन-रात बात     सुनि-सुनि जियो करूँ।ललित

वृन्दावन आनंद विहार      चारू दम्पत्ति के,दिन-रात बात     सुनि-सुनि जियो करूँ।ललित



वृन्दावन आनंद विहार
      चारू दम्पत्ति के,
दिन-रात बात
     सुनि-सुनि जियो करूँ।

ललित हिंडोरा साँझी
      रास-रंग दीप-माला,
फूलिन की रंग-रूचि
      रचना कियो करूँ।

नित्य ही बसंत यहाँ होरी
      चित्त चोरी चाव,
नागरिया केलि यह साकेलि
     के लियो करूँ।

दियो करूँ यही सुख और
      यही सुख लियो करूँ,
यहीं दिन-रैन रस रसिकों
      का पिया करूँ।

  जय श्री राधे कृष्ण

       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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