
जब से पकड़ा हैं तूने मेरा दामन
कि मोहन मैं तेरी हो गयी
सारी दुनिया के छोड़ रिश्ते नाते
मोहन मैं तेरी हो गयी
सारी दुनिया ने ठुकरायी
अब शरण तेरी आई,
मुझे दे दो प्रेम की भिक्षा
ओ मेरे कुंवर कन्हाई ,
तेरा मेरा है जन्मों का नाता
कि मोहन मैं तेरी हो गयी ll1ll
मुझे अपने दर पे बुला ले
नजरों से नजर मिला ले,
तेरे प्यार में हो गयी पागल
मुझको गले लगा ले,
तेरे नाम के नशे में मैं झूमूँ ll2ll
मुझे इश्क़ का रोग लगा है
मेरा दर्द कोई न जाने
मेरे पीछे पड़ा है जमाना
हर कोई ताने मारे
मैं तो रंग गयी तेरे ही रंग में ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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