
सुंदर लाला नंददुलाला,
नाचत श्रीवृंदावन में ।
भाले चंदन तिलक मनोहर,
अलका शोभे कपोलन में ||1||
सिर पर चूड़ा, नयन विशाला,
कुंदमाल हिय पर डोले || 2 ||
पाहिरन पीत पीताम्बर,
बोले रुनुझुनु नूपुर चरनन में ||3 ||
कोई गावत पंचम तान,
बंसी पुकारे राधा नाम ||4||
मंगल ताल मृदंग रसाल ,
बजावत कोई रंगन में ||5||
राधा कृष्ण एकतनु होये, ,
निधुवन में जो रंग मचाई ||6||
विश्वरूप' जो भगवान सोई,
लीला करत वृंदावन में ||7||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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