
आज ललन की होत सगाई.
आवोरी गोपीजन मिलकें ,गावो मंगलचार बधाई ||1||
चोटी चुपर गुहूं सुत तेरी छाड़ो चंचलताई
वृषभान गोप टीको दे पठयो सुन्दरजान कन्हाई ||2||
जो तुमको या भांत देखहै करहै कहा बड़ाई
पहर बसन आभूषण सुन्दर उनको देउ दिखाई ||3||
नखशिख अंग शृंगार महर मन मोतिन की माला पहराई
बैठे आय रत्न चौकी पर नारिन की भीर सुहाई ||4||
विप्र प्रवीण तिलक कर मस्तक अक्षत चांप लीयो अपनाई
बाजत ढोल भेर और महुवर नोबत ध्वनि घनघोर बजाई ||5||
फूली फिरत यशोदा रानी वार कुंवर पर वसन लुटाई
परमानंद नन्द के आंगन अमरगण पोहोपन झरलाई ||6||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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