
राधा माधव माधव राधा छाये देश काल सब ओर
नाच रही राधा मतवाली, मुरली टेर रहे मन चोर।।
देखो, सुनो सदा सबमें सर्वत्र भरे दोनों रसधाम।
मधुर मनोहर मूरति, मुरली ध्वनि बरसाती सुधा ललाम।।1||
लीला लीलामय ही है सब, लीला लीलामय सर्वत्र ।
लीला लीलामय ही रहते, करते लीला विविध विचित्र।।2||
नित्य मधुर दर्शन, सम्भाषण, स्पर्श मधुर नित नूतन भाव।
नित नव मिलन, नित्य मिलनेच्छा, नित नव रस आस्वादन चाव।।3||
पद-रत्नाकर पद संख्या-१९७
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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