
पहली कृपा भई मेरे प्रभु की नर तन दीनानाथ दियो ।
पुन्य भूमि भारत में मोकहूँ, कलिजुग माहीं जन्म दियों ।।
दूजी कृपा करी करुनामय, धर्म सनातन पंथ दियो ।
वेद पुराण भागवत गीता, रामचरित सो ग्रन्थ दियों ।। १ ।।
तीजी कृपा करी मेरे स्वामी, जग सौ सदा वियोग दियों ।
जाग्रत करी रूचि सत्सँग की, सन्त मिलन को जोग दियों ।। २ ।।
चौथी कृपा करी मेरे दाता, सुमिरन को हरी नाम दियो ।
जनम मरन मिट जावे ऐसो, सब साधन को धाम दियो।। ३ ।।
पंचम कृपा करी परमेश्वर, धर नर तन अवतार लियो ।
कर लीला उपदेश बताकर, बहुत बड़ा उपकार कियों ।। ४ ।।
सके न बरनन शेष सारदा, कृपा तुम्हारी हे घनश्याम ।
ऐसे परम कृपालु प्रभु को, कोटि कौटी हम करे प्रणाम ।। ५ ।।
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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