नील कमल से नयन सलोने घूँघर वाले बाल एक झलक जो

नील कमल से नयन सलोने घूँघर वाले बाल एक झलक जो








नील कमल से नयन सलोने घूँघर वाले बाल 
एक झलक जो देखे तेरी हो जाये बेहाल!


तिरछी नज़र के तीर तीर का जो हो गया निशाना ,
श्याम श्याम की रटन लगादे वो पागल दीवाना,
मोर मुकुट की मार अनोखी कर देता बेहाल ||1||



होंठ तेरे अमृत के जैसे छलक रहे हो प्याले,
उस पर रस की भरी मुरलीया अपना जादू डाले,
गजब ढा रही गले में पड़ी ये बैजंती माल ||2||



सोने के कुंडल कानो में रह रह झूम रहे है,
 बनकर भवरा गाल गुलाबी तेरे चूम रहे है, 
बेमिसाल तेरी सुंदरता जिसकी नही मिसाल ||3||



मुख मंडल पे चन्द्रकिरण की आभा बेधड़क प्यारी,
ऐसी सुन्दर मुरतीय पे मई जाऊ बलिहारी,
भूल गया भगत दुनिया को देख तुझे नन्दलाल ||4||

   

जय श्री राधे कृष्ण

      श्री कृष्णाय समर्पणम्

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: