
वृन्दावन के कण कण में ,यहाँ बहती प्रेम की धारा
कट जाये तेरी सारी बाधा,तू जप ले राधा राधा
शिव ब्रह्मा सनकादिक गाये राधे राधे नाम
राधे नाम को सुनके दौड़े दौड़े आवे श्याम
बिन राधा के दुनिया तो क्या
श्याम सुन्दर भी आधा ll1ll
श्री निधिवन में बैठ लाड़ली जब जब मान बढ़ावे
श्री चरनन में गिरकर मोहन तब तब उनको मनावे
ऋषि मुनि भी समझ न पाये ऐसो प्रेम अगाधा ll2ll
बिन राधा के मुरली न बाजे रास न करते बिहारी
राधारमण की भी धडकन है श्री जी श्याम प्यारी
हम भी तेरी शरण में आये कृपा करो अब प्यारी ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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