
नीलवरण है रूप नीलाम्बर,
घुँघरवाला केश रे।
मोर मुकुट माथे पे विराजे,
राज कुँवर सा वेश रे॥
मुरलीधर घनश्याम कन्हैया,
गिरधारी मतवाला रे।
चंचल, चतुर, चालाक,
साँवरा, लगता भोला भाला रे॥1||
कानों में कुण्डल पहने,
सोहे वैजयंती माला रे।
वन उपवन में गैया चराये,
वंशी बजाये मतवाला रे॥2||
कहते है तेरे भगत मुरारी,
अपने रंग में रंग ले रे।
आओ प्रभु जी दरस दिखाने,
राधा रुक्मण संग ले रे॥3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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