जीवन के दिन अब चार सखी रीजीवन के दिन अब

जीवन के दिन अब चार सखी रीजीवन के दिन अब








जीवन के दिन अब चार सखी री

जीवन के दिन अब चार
कर सोलह श्रृंगार सहेली~~
छोड़ दे सोच विचार






मिलन घडी अब आने लगी हे
पिया की नागरी भाने लगी हे
अब छोड़ जगत व्यवहार ||1||





श्यामा जू के महल की दासी
चरण कमल सेवा अभिलासी
जहाँ मिल जाएँ नन्द कुमार ||2||


जय श्री राधे कृष्ण

      श्री कृष्णाय समर्पणम्



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