बड़े भाग्य से मनुज तन मिला है

बड़े भाग्य से मनुज तन मिला है








बड़े भाग्य से मनुज तन मिल है

गंवाते गंवाते उम्र पार कर दी । 
खाने कमाने में आयु गँवा दी,
यूँ ही जिंदगी हमने बेकार कर दी । 






अभी चेत जा वक़्त जो भी बचा है

भला काल मुख से न कोई बचा है
जरा सोच ले साथ ले जायेंगे
यूँ ही जिंदगी हमने बेकार कर दी ll1ll




है सांसर सागर में जीवन की नैया,

है पतवार सत्कर्म सतगुरु खिवैया,
ममता के चक्कर में फँसकर हमने,
जीवन की नैया मझदार कर दी ll2ll




अगर चाहता है अपना कल्याण प्राणी,

तो बोले मन से सत्य सतगुरु की वाणी,
लगा  अपना जीवन सतत्कर्म में अब,
अभी तक तो यारो बेकार कर दी ॥ 3 ॥ 


जय श्री राधे कृष्ण

      श्री कृष्णाय समर्पणम्



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