
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम,
मेरे अलबेले श्याम ।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम ॥
घर बार छोड़ा सब तेरी लगन में,
बाँवरी भई डोलूं ब्रिज की गलिन में ।
मेरे स्वांसो की माला तेरे नाम,
मेरे अलबेले श्याम ॥1||
सांवरे सलोने यही विनती हमारी,
करदो कृपा मैं हूँ दासी तुम्हारी ।
तेरी सेवा करूँ आठों याम,
मेरे अलबेले श्याम ॥2||
जब से लड़ी निगोड़ी तेरे संग अखियाँ,
चैन नहीं, दिन मैं काटूं रो रो के रतियाँ ।
तूने कैसा दिया यह इनाम,
मेरे अलबेले श्याम ॥3||
आऊँगी मिलन को तुमसे कर के बहाने,
सांस रूठे, जेठानी मारे सो सो ताने ।
हूँ घर घर में मैं तो बदनाम,
मेरे अलबेले श्याम ॥4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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