
आज सखि जो मै प्रितम पाँऊ
तो अपने बड़ भाग्य मनाऊ (2)
सांवरी सूरत, नयन विशाला
चंद्र वदन, गले मोतियन माला
रूप मनोहर, चाल मराला
सूंदरता पर बलबल जाऊ||1||
जो प्यारो मेरी गलियन आवे,
मोही बिहरीन को दरस दिखावे
बैठ निकट मृदु वचन सूनावे
तो हँसी उनको कंठ लगाऊ. ||2||
नारायण जीवन गिरिधारी
कब लोगे सूधी आप हमारी
जब मोंसो वैहै कहत तु मेरी
तब मैं फूली अंग न समाऊ ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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