
हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय
published on 09 October
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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय ।
दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो नही कोई ॥
ना मैं जानू आरती वन्दन, ना पूजा की रीत।
लिए री मैंने दो नैनो के दीपक लिए संजोये॥1||
घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।
जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय॥2||
सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय।
गगन मंडल पर सेज पिया की, मिलणा किस बिध होय॥3||
दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय॥4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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