हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय

हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय











हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय ।



दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो नही कोई ॥


ना मैं जानू आरती वन्दन, ना पूजा की रीत।

लिए री मैंने दो नैनो के दीपक लिए संजोये॥1||




घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।


जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय॥2||




सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय।


गगन मंडल पर सेज पिया की, मिलणा किस बिध होय॥3||




दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय।


मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय॥4||






जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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