
तर्ज- दिल को देखो चेहरा ना देखो
प्रेम बढाओ,श्याम को पाओ,
प्रेम बिना कुछ ना भाये,
प्रेमी से प्रभु मिलने आये।।
था ये भरोसा भिलनी को भारी, आयेंगे कुटिया मे राघव,
आशा का दामन छोड़ा ना उसने,एक दिन हुवा ये भी संभव,
आये दीनो के नाथ,लेके लक्ष्मण के साथ..
बैर भिलनी के झूठे वो खाये ||1||
भावो के भूखे श्याम कन्हाई,विदुरानी के घर मे आये,
सुध बुध भुलाई प्रेम दिवानी,केले के छिलके खिलाये,
प्रेम से खा रहे,श्याम मुस्का रहे..
आज माखन का स्वाद भुलाये ||2||
नरसी भगत की हुण्डी स्वीकारी,सांवलशाह सेठ कुहाया,
नानीबाई का भात भरा और नरसी का मान बढाया,
जिनको साँवरे पे नाज,उनकी जाती ना लाज..
किसकी हिम्मत जो ऊँगली उठाये ||3||
अपने दिवानो का ये दिवाना, प्रेम का है ये पुजारी,
सच्चे हृदय से इसको मनाओ,रिझेगा श्याम बिहारी,
"बिन्नू' रखो विश्वास,है ये तेरे ही पास...
छोड़ तुझको कभी भी ना जाये ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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