
मन गा तू माधव राग रे,
कर माधव से अनुराग रे
कृष्ण भजन को नर तन पाया,
यहाँ आय जग में भरमाया
छोड़ छोड़ यह माया छाया,
श्याम सुधारस पाग रे ||1||
माधव ही तेरा अपना है,
और सभी कोरा सपना है
दुनिया से जुड़ना फँसना है,
इस बंधन से भाग रे ||2||
मोह निशा में बयस बिताई,
अन्तकाल की वेला आई
कब तक यों सोयेगा भाई,
तू हरि स्मरण हित जाग रे ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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