
देखो वृन्दावन की कुंज गलिन में, नाचत नन्द्कुमार |
मोरे-मुकुट सिर ऊपर सोहे, गल वैजंती माल
पीताम्बर कटि बीच विराजे, मुरली अधर सुधार || 1||
वीणा ताल मृदंगी बाजे, बाजे झाँझ सितार
खन-खन नूपुर बाजे, कर-कंगन झनकार ||2||
ग्वाल-बाल सब मिलकर नाचें, नाचें ब्रज की नार
सखियों के संग राधा नाचें, कर सोलह सिंगार ||3||
जलचर मोहे थलचर मोहे, मोहे नभ संसार
ब्रह्मानन्द मुनीश्वर मोहे, मुरली धुन निर्धार ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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