सुमिरन करले मना, छिन छिन राधा रमना ।।यह जग नहीं

सुमिरन करले मना, छिन छिन राधा रमना ।।यह जग नहीं








सुमिरन करले मना, छिन छिन राधा रमना ।।

यह जग नहीं अपना, जाना है घर सजना ।।







सारा जग नाता सपना, संग जाए हरि भजना ।।
दे दे आंसु मूल्य मना, ले ले पिय प्रेम धना  ||1||




जोई गोपी जन जीवना, सोई मम प्राण धना ।।

जोई यशुदा को ललना , सोई मम प्राण धना ||2||






जग तो है स्वार्थी मना, हरी ही हितैषी अपना ||

तन तो है माटी का बना, माटी मै ही मिलेगा मना ||3||







तेरा स्वामी आत्मा मना, वाको सुख नंदनंदना ||

मै तो हरि का ही है मना, याते हरि ही है अपना ||4||






मै को माने तन क्यों मना, तन तो है मै का अपना ||
सुमिरन करले मना, छिन छिन राधा रमना ||5||


जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: